22 अप्रैल 2025 का दिन भारत के दिल को चीर देने वाला साबित हुआ।
उस दिन जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियाँ, जहां लोग सुकून और ताजगी लेने जाते हैं, वहां उस दिन खून बहा, चीखें गूंजीं और बेगुनाहों की जानें चली गईं।
पहलगाम, जो एक शांत, सुंदर और लोगों के लिए खास जगह है, वहां आतंकियों ने एक बहुत ही डरावना और कायराना हमला कर दिया। यह हमला न सिर्फ लोगों की जान पर था, बल्कि पूरे भारत के दिल पर हमला था।
पहलगाम की घाटियाँ, जो भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए स्वर्ग से भी सुंदर मानी जाती हैं, वहां आतंकियों ने वही किया जो उनकी घृणित मानसिकता कहती है।
यहां की ठंडी, ताजगी से भरी हवाएँ अब खौफ और भय से भर गईं।
घाटी में हर रोज़ मुस्कराते चेहरे, सुकून से भरी हवा और सुंदर वादियाँ थीं, लेकिन अचानक यह शांति आतंक की लहर से टूट गई।
इस हमले ने सिर्फ कश्मीर को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को यह दिखा दिया कि किस तरह कुछ मानसिक विकृत लोग शांति और भाईचारे के इस सौंदर्य को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं।
घटना कैसे घटी?
उस दिन दोपहर का समय था। आसमान हल्का-हल्का बादलों से भरा था। ठंडी हवा चल रही थी और पर्यटक अपने परिवार के साथ बाइसारन घाटी में घूमने आए थे।
लोग घोड़े पर सवारी कर रहे थे, पिकनिक मना रहे थे, तस्वीरें खींच रहे थे। चारों तरफ हँसी-खुशी का माहौल था।
किसी को अंदाजा भी नहीं था कि अगले कुछ मिनटों में उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली है।
तभी, अचानक गोलियों की आवाज़ सुनाई दी। कुछ लोग सोच भी नहीं पाए कि ये क्या हो रहा है — और तब तक सब कुछ बदल चुका था।
4 से 6 आतंकी, जो सेना जैसी वर्दियों में थे, अचानक भीड़ में घुस आए। पहले उन्होंने हवा में गोलियां चलाईं, जिससे लोग डर गए और भगदड़ मच गई।
फिर उन्होंने लोगों को पकड़-पकड़ कर नाम और धर्म पूछना शुरू किया। जो जवाब नहीं दे पाए, उन्हें बेरहमी से गोली मार दी गई। यह हमला अचानक और भयावह था, और किसी को भी कुछ समझने का मौका नहीं मिला।
कितने लोग मारे गए?
इस भयानक हमले में 28 लोग मारे गए। इनमें से 24 भारतीय पर्यटक, 2 विदेशी नागरिक (एक नेपाल से, एक यूएई से), और 2 स्थानीय लोग थे।
20 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। बहुत से लोग अभी भी अस्पताल में हैं और कुछ की हालत नाजुक बनी हुई है।
मारे गए लोग अलग-अलग राज्यों से आए थे — जैसे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु आदि। वे सिर्फ छुट्टियाँ मनाने आए थे। उन्हें क्या पता था कि ये उनकी आखिरी यात्रा होगी।
घायलों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, जिनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई है।
ये लोग सिर्फ शांति और सुकून की तलाश में पहलगाम आए थे, लेकिन आतंक के इस कायराना हमले ने उनकी और उनके परिवारों की पूरी दुनिया पलट दी।
वे जिन्हें अपना घर छोड़कर कहीं दूर, एक शांत जगह पर आराम करने का ख्वाब था, वे अब अस्पतालों में अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
आतंकी कौन थे?
इस हमले की ज़िम्मेदारी TRF (The Resistance Front) नाम के आतंकी संगठन ने ली है। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है और इसे पाकिस्तान से मदद मिलती है।
उनका कहना है कि यह हमला “कश्मीर में बाहरी लोगों को बसाने” के खिलाफ किया गया है। लेकिन असलियत यह है कि वहां आए लोग सिर्फ घूमने आए थे, किसी को नुकसान पहुंचाने नहीं।
यह हमला बिल्कुल भी किसी विचारधारा या धर्म से जुड़ा नहीं था। यह हमला सिर्फ निर्दोष लोगों पर था, जो कुछ पल शांतिपूर्वक जीने की कोशिश कर रहे थे।
यह आतंकी संगठन अपनी खोखली विचारधाराओं को फैलाने के लिए निर्दोष लोगों को निशाना बनाता है, और इस हमले से उनका उद्देश्य सिर्फ आतंक फैलाना और लोगों में डर पैदा करना था। कश्मीर की घाटियाँ अब एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के बजाय एक दर्दनाक याद बन चुकी हैं।
जिन्होंने सब देखा, उनकी ज़ुबानी
एक महिला, जो पुणे से अपने पति और बेटी के साथ आई थी, ने बताया कि उसकी सात साल की बेटी को आतंकी ने गोली मार दी।
उन्होंने कहा, “उन्होंने मुझे छोड़ दिया और कहा, जाकर मोदी से कह देना हमने क्या किया है।”
एक लोकल गाइड बोला, “मैंने अपनी जिंदगी में कभी ऐसा मंजर नहीं देखा था। लोग चिल्ला रहे थे, दौड़ रहे थे, और मैं कुछ भी नहीं कर पाया।”
यह सिर्फ एक गाइड की कहानी नहीं है, बल्कि कई लोगों की असहायता की कहानी है।
कुछ लोग अपनी आँखों के सामने अपनों को खो बैठे, जबकि वे कुछ नहीं कर सकते थे। यह वह मंजर था, जिसे शब्दों में नहीं कहा जा सकता।
सरकार का क्या जवाब था?
हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके इस घटना की निंदा की और कहा कि “दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।” प्रधानमंत्री ने अपनी पूरी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को इस हमले की जाँच में पूरी ताकत से जुट जाने के निर्देश दिए।
गृह मंत्री अमित शाह तुरंत श्रीनगर पहुँचे। वहां उन्होंने सुरक्षा अफसरों के साथ बैठक की और पूरे पहलगाम इलाके में बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया गया।
अब तक कई संदिग्ध गिरफ्तार किए जा चुके हैं और जांच चल रही है।
इसके अलावा, सुरक्षा बलों ने पहलगाम और आसपास के क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में ऐसा हमला न हो। पूरे कश्मीर में आतंकियों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
दुनिया ने क्या कहा?
यह हमला सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया भर को झकझोर गया। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, रूस, ब्रिटेन जैसे देशों ने इस हमले की कड़ी निंदा की।
सबने कहा कि वे भारत के साथ हैं और आतंक के खिलाफ एकजुट खड़े हैं। दुनिया के तमाम देशों ने इस आतंकी हमले को मानवता के खिलाफ बताया और आतंकवाद के खिलाफ अपनी एकजुटता जाहिर की।
संयुक्त राष्ट्र ने भी इस हमले की निंदा करते हुए इसे एक घृणित अपराध करार दिया। इससे यह साबित होता है कि आतंकवाद केवल एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक खतरा है।
पर्यटन को कितना नुकसान हुआ?
कश्मीर का पर्यटन धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा था। लोग फिर से वहां जाने लगे थे। होटल बुकिंग्स बढ़ रही थीं, टैक्सी, गाइड और दुकानदार खुश थे।
लेकिन इस हमले के बाद बहुत से लोग डर गए हैं। कई पर्यटकों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी है। होटलों की बुकिंग कैंसल हो रही है, स्थानीय लोगों की कमाई बंद हो रही है और घाटी एक बार फिर सूनसान लग रही है।
पर्यटन, जो कश्मीर के बहुत सारे लोगों के लिए रोज़ी-रोटी का जरिया है, अब संकट में है। इससे न सिर्फ कश्मीर के पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हुआ है,
बल्कि वहां के छोटे-छोटे व्यापारी और दुकानदार भी प्रभावित हुए हैं। अब उन्हें फिर से अपने व्यवसाय को खड़ा करने के लिए संघर्ष करना होगा।
अब आगे क्या किया जाए?
1. सुरक्षा और पक्की करनी होगी:
ऐसे हमलों को रोकने के लिए हमें सीमा पर निगरानी को और मजबूत करना होगा।
2. इंटेलिजेंस सिस्टम मजबूत करना होगा:
आतंकी गतिविधियों के बारे में पहले से जानकारी हासिल करने के लिए सभी तकनीकों का सही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
3. पर्यटन स्थलों पर ज्यादा सुरक्षा तैनात करनी होगी:
पर्यटकों के लिए सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी, ताकि उन्हें कोई खतरा न हो।
4. स्थानीय लोगों का विश्वास जीतकर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना होगा:
स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना होगा ताकि वे आतंकवादियों का समर्थन न करें।
5. युवाओं को सही रास्ता दिखाकर उन्हें बरगलाने से बचाना होगा:
युवा वर्ग को सही शिक्षा और रोजगार के अवसर देने होंगे ताकि वे आतंकवाद के झांसे में न आएं।
हम शहीदों को नहीं भूलेंगे
जो लोग इस हमले में मारे गए, वे हमारे देश के नागरिक थे — कोई हिंदू, कोई मुस्लिम, कोई ईसाई नहीं… सिर्फ इंसान थे। वे अपनी जिंदगी के सबसे अच्छे पल बिताने आए थे — लेकिन अब वे हमारी यादों में बस गए हैं। हम उन्हें हमेशा याद रखेंगे। उनका बलिदान बेकार नहीं जाएगा।
यह हमले ने हमें यह सिखाया है कि हमें किसी भी हालत में अपनी एकता को नहीं तोड़ने देना चाहिए। आतंकवाद को हराने के लिए हमें सब मिलकर एकजुट होना होगा। उनकी शहादत को सम्मान देना ही हमारी जिम्मेदारी है।
आप क्या कर सकते हैं?
- इस घटना के बारे में लोगों को बताएं।
- सोशल मीडिया पर शांति और एकता का संदेश फैलाएं।
- आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठाएं।
- पीड़ित परिवारों के लिए चल रही मदद में भाग लें।
- और सबसे जरूरी — नफरत नहीं, इंसानियत को आगे बढ़ाएं।
हम भारतवासी हैं — न झुकेंगे, न डरेंगे
कायर हमलों से न हमारी एकता टूटेगी, न हमारा हौसला। हम सब मिलकर आतंकवाद को हराएंगे।
📌 लेखक: KPR News डेस्क
📅 प्रकाशित: 23 अप्रैल 2025
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