भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत का पहला बयान सामने आया है। ‘Operation Sindoor‘ को लेकर भागवत ने भारत सरकार और सशस्त्र बलों के साहसिक कदम की सराहना करते हुए इसे “देश की अस्मिता का प्रतीक” बताया।
“ऑपरेशन सिंदूर जरूरी था” – मोहन भागवत
मोहन भागवत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपने विचार साझा करते हुए कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के लिए भारत सरकार के नेतृत्व और सैन्यबलों का हार्दिक अभिनंदन। हिंदू यात्रियों के नृशंस हत्याकांड में आहत परिवारों को और समस्त देश को न्याय दिलाने के लिए हो रही इस कार्रवाई ने समूचे देश के स्वाभिमान और हिम्मत को बढ़ाया है।”
राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ द्वारा जारी किया गया वक़्तव्य –
पहलगाम की कायरतापूर्ण आतंकवादी घटना के पश्चात पाक प्रायोजित आतंकवादियों एवं उनके समर्थक पारितंत्र पर की जा रही निर्णायक कार्रवाई “ऑपरेशन सिंदूर” के लिए भारत सरकार के नेतृत्व और सैन्यबलों का हार्दिक अभिनंदन। हिंदू यात्रियों… pic.twitter.com/kThkYmVdLw— RSS (@RSSorg) May 9, 2025
इस बयान के जरिए भागवत ने साफ किया कि देश की सुरक्षा और अस्मिता के सवाल पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे लगातार उकसावे और हमलों के जवाब में यह कार्रवाई जरूरी थी।
धार्मिक स्थलों पर हमलों की निंदा
भागवत ने पाकिस्तान की सेना द्वारा भारत की सीमा पर धार्मिक स्थलों और नागरिक इलाकों को निशाना बनाने की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इन हमलों को न केवल मानवता के खिलाफ बताया, बल्कि पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना भी जताई। उन्होंने कहा, “जो इन हमलों का शिकार हुए, उनके परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करते हैं।”
देशवासियों से एकता बनाए रखने की अपील
इस संवेदनशील परिस्थिति में भागवत ने देशवासियों से संयम बरतने और सरकार व सेना के साथ खड़े रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समस्त देशवासियों से आह्वान करता है कि शासन और प्रशासन द्वारा दी जा रही सभी सूचनाओं का पूर्णतः अनुपालन सुनिश्चित करें।” साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि राष्ट्रविरोधी शक्तियां इस मौके पर सामाजिक एकता को भंग करने की कोशिश कर सकती हैं, जिससे सतर्क रहने की आवश्यकता है।
“हरसंभव सहयोग के लिए तत्पर रहें”
आरएसएस प्रमुख ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे इस समय अपने कर्तव्यों को समझें और देश की एकता और सुरक्षा के लिए हरसंभव सहयोग दें। उन्होंने कहा, “अपनी देशभक्ति का परिचय देते हुए सेना और नागरी प्रशासन के लिए जहां भी, जैसी भी आवश्यकता हो, तत्पर रहें।”
निष्कर्ष:
मोहन भागवत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश एक गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि राष्ट्र की चेतना, साहस और एकता का प्रतीक बनकर उभरा है। आज, जब भारत एकजुटता और दृढ़ता की मिसाल बन रहा है, तब हमें भी यह संकल्प लेना होगा कि हम किसी भी हालात में राष्ट्रीय हित और सामाजिक समरसता से समझौता नहीं करेंगे।
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