वर्ष 2025 संवत 2082 भाद्रपद शुक्ल पक्ष 15 पूर्णिमा रविवार 7 सितंबर 2025 चंद्र ग्रहण

7 सितंबर 2025 को पूर्णिमा चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दृश्य होगा। इसी दिन पितृपक्ष आरंभ होगा। जानें सूतक काल, धार्मिक महत्व और राशियों पर प्रभाव।

वर्ष 2025 संवत 2082 भाद्रपद शुक्ल पक्ष 15 पूर्णिमा रविवार 7 सितंबर 2025 को यह चंद्र ग्रहण संपूर्ण भारत में दृश्य होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक काल सूतक समय से 9 घंटे पहले प्रारंभ हो जाता है।

दोपहर 12:57 से ही सूतक काल प्रारंभ हो जाएगा। और ग्रहण 9:57 पर प्रारंभ होगा और रात्रि 1:26 पर समाप्त होगा यह ग्रहण 3 घंटे 29 मिनट पड़ेगा। और संपूर्ण भारतवर्ष में दिखाई देने के कारण संपूर्ण भारतवर्ष में इसका सूतक मान्य होगा।

यह ग्रहण भारतवर्ष सहित अन्य कई देशों में दिखाई देगा। जैसे कि इंग्लैंड , फ्रांस , जर्मनी , इटली यूरोपीय देशों में भी देखा जा सकेगा इसके अलावा अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में जैसे ऑस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड और अमेरिका के कुछ भागों में भी यह ग्रहण दृश्य होगा इस खगोलीय घटना को धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है ।

विशेष बात इस बार यह है कि यह चंद्र ग्रहण वर्ष 2025 का अंतिम चंद्र ग्रहण होगा और जिस दिन यह ग्रहण पड़ेगा उसी दिन पितृपक्ष का भी प्रारंभ दिवस है प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी पितृपक्ष का प्रारंभ भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होता है इस वर्ष पितृपक्ष 7 सितंबर 2025 रविवार पूर्णिमा से प्रारंभ हो रहे हैं ।

हमारी सनातन मान्यता के अनुसार श्राद्ध पक्ष के इन 16 दिनों में हमारे पितर पृथ्वी लोक पर अपने-अपने वंश के घरों में इनका आगमन होता है और अपनी अपनी संतानों के द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और दान पुण्य से प्रसन्न होकर अपने-अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं ।इन दिनों में अपने-अपने पितरों की तृप्ति के लिए नित्य प्रति तर्पण किया जाता है ।

और पिंडदान श्राद्ध भोजन और अपने अपने पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए और पितरों की मोक्ष के लिए पितृ गायत्री इत्यादि का विधि विधान से अनुष्ठान इत्यादि भी करना अत्यंत फलदाई होता है।

इस वर्ष पितृपक्ष के प्रथम दिन चंद्र ग्रहण पड़ने से श्राद्ध और दान पुण्य का प्रभाव अत्यंत महत्वपूर्ण और अत्यधिक फलदाई होगा ।पितृपक्ष का प्रारंभ 7 सितंबर 2025 दिन रविवार पूर्णिमा से प्रारंभ होकर आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या 21 सितंबर 2025 दिन रविवार को समापन होगा ।

इस अमावस्या को पितृ विसजर्नी अमावस्या भी कहते हैं । हमारी सनातन मान्यता के अनुसार पितृ ऋण सबसे बड़ा ऋण माना गया है। और अपने पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए ही हम सभी को तर्पण , पिंडदान , और अपने-अपने पितरों के श्राद्ध दिवस पर ब्राह्मण भोजन और सूती वस्त्र इत्यादि का दान करना हमारे शास्त्रों में बताया गया है।

हमारे शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से हमारे पितृ तृप्त और प्रसन्न होकर हमारे परिवार को सुख समृद्धि दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं । जिस किसी की भी कुंडली में अथवा जन्म पत्रिका में पितृ दोष होता है ।वह व्यक्ति यदि पितृ पक्षों में पितृ गायत्री का अनुष्ठान और विधि पूर्वक तर्पण , पिंडदान श्राद्ध दिवस पर ब्राह्मण भोजन इत्यादि करवाता है ।

तो उसका पितृ दोष कम हो जाता है । हमारे शास्त्रों में ऐसा स्पष्ट आदेश मिलता है । कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने पितरों के निमित्त तर्पण , पिंडदान , श्राद्ध दिवस पर ब्राह्मण भोजन सूती वस्त्र दान इत्यादि अवश्य ही करना चाहिए ।

वर्ष 2025 संवत 2082 को चंद्र ग्रहण पड़ने से यह पितृपक्ष और भी अत्यधिक महत्वपूर्ण और विशेष फलदाई माना जा रहा है । चंद्र ग्रहण के दिन किए गए पितरों के निमित्त तर्पण पिंडदान श्राद्ध भोजन और सूती वस्त्र दान इत्यादि से पितृ अत्यंत प्रसन्न होते हैं ।

और अपने परिजनों को बहुत सारा अत्यधिक आशीर्वाद देकर तृप्त होते हैं । इस प्रकार इस वर्ष चंद्र ग्रहण के दिन पितृ पक्ष का प्रारंभ बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है ।

धार्मिक एवं ज्योतिषीय दृष्टि से पितृ दोष से मुक्ति के उपाय प्रत्येक सायं काल को कपूर घी में डुबोकर अथवा गुड़ के साथ जलाकर पूरे घर में दिखाएं । प्रतिदिन कुत्ते , कौवे , चिड़ियों और गाय को रोटी खिलाएं ।

यदि सभी ना मिल पाए तो इनमें से कम से कम किसी एक को ही रोटी खिलाना चाहिए । पीपल अथवा बरगद के वृक्ष को जल चढ़ाएं और केसर का तिलक करें साथ ही खुद भी रोज केसर का तिलक लगाएं ।

एकादशी का व्रत रखें ।और श्रीमद्भगवत गीता का पाठ करें ।इससे पितृ दोष का दुष्प्रभाव कम हो जाता है।

अब आपको आगे बताते हैं कि इस चंद्र ग्रहण का किस राशि पर कैसा प्रभाव पड़ने वाला है । मेष राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण सुखद एवं लाभप्रद योग बनाएगा ।वृष राशि वाले व्यक्तियों के लिए भी यह ग्रहण सुख संपदा सूचक योग बन रहा है ।

और मिथुन राशि वाले व्यक्तियों के लिए जीवन में न्यूनता का योग बनता दिख रहा है ।और कर्क राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण पीड़ा दायक कष्ट प्रद रहेगा ।और सिंह राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण मानसिक चिंतन एवं मनोविकार और खेदप्रद रहने वाला है ।

और कन्या राशि के व्यक्तियों के लिए है ग्रहण विकास , सुयोग प्रतिफल बना रहा है ।और तुला राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण मनोविकार प्रवास चिंतन का योग बन रहा है ।और वृश्चिक राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण अपवाद चिंता खेद प्रवास युक्त योग बन रहा है ।

और धनु राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण सुखद लाभप्रद योग दिख रहा है ।और मकर राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण अपवाद और चिंतन का योग बन रहा है ।और कुंभ राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण शरीर विकार पीड़ा दायक कष्ट दायक सूचक हो रहा है ।

और मीन राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण आर्थिक चिंतन कारक योग बन रहा है ।यह ग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र तथा कुंभ राशि पर मान्य है अर्थात यह ग्रहण का विशेष प्रभाव पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र एवं कुंभ राशि वाले व्यक्तियों पर होगा ।

अतः इस राशि व नक्षत्र वालों को ग्रहण दर्शन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए ।अपितु अपने इष्ट देव की आराधना गुरु मंत्र का जाप एवं धार्मिक ग्रंथ का पठन-पाठन मनन चिंतन करना चाहिए ।

साथ ही इस चंद्र ग्रहण का दुष्प्रभाव उड़ीसा , बंगाल , असम , बिहार और सौराष्ट्र गुजरात , पश्चिमी देश संभाग , पर्वत विशेष वाला संभाग तथा महापुरुष पद विशेषस्थ वर्ग , उच्च अधिकारी , उच्च उद्योगपति धनिक श्रीमंत विशेष एवं ट्रक व्यवसाई गण , फिल्म निर्माता अभिनय कर्ता तथा हिंसक आतंक प्रसारकगण हेतु कष्ट दायक सूचक होगा।

पद लालसा वाले व्यक्ति स्वार्थी , पशुपालक चौरकर्मशील तस्करगण हेतु भी खराब अर्थात इन लोगों के लिए भी अनिष्ट कारक फलदाई यह ग्रहण होगा तथा यह ग्रहण संक्रामक आदि व्याधि , ऋतु जनित प्रकोप , आंधी पवन वेग , हिमखंड प्रपात स्खलन , चक्रवात का योग एवं अग्नि तथा अस्त्र शस्त्र आदि से जनधन क्षति का दुर्योग बना रहा है ।

साथ ही गर्भवती स्त्री तथा लकड़ी विषयक व्यवसाय कार्यकर्ता वर्ग को भी नुकसान का योग बनाएगा । एवं कृषि संपदा विकास में श्रम साधना कष्ट कारी योग होगा । वस्तु पदार्थ दृष्टि से तरल रसवर्गीय द्रव्य पदार्थ में तेजी योग।

एवं कार्य व्यवसाय लाभदायक लाभ योग बनाएगा तथा सुगंधी पदार्थ इत्र , सेंट , पाउडर आदि सुगंधी श्रृंगार की सभी सामान वस्तुएं तथा लाल एवं पीले रंग की वस्तु में तेजी के योग बनाएगा । चना , हल्दी , मेथी , सरसों , तुअर ,लाल मिर्च , मसूर आदि के कार्य व्यवसाय में लाभ दायक योग बनाएगा।

आचार्य राधावल्लभ

मैनपुरी, उoप्रo

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