अंबेडकर जयंती 2025: राष्ट्रपति, पीएम मोदी और राहुल गांधी ने बाबा साहेब को दी श्रद्धांजलि | कौन क्या बोला?

Ambedkar Jayanti 2025

Ambedkar Jayanti 2025: हर साल 14 अप्रैल को भारत एक महान विचारक, संविधान निर्माता और समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस वर्ष भी अंबेडकर जयंती के अवसर पर देशभर में श्रद्धा और सम्मान के साथ बाबा साहेब को याद किया गया। देश की शीर्ष नेतृत्व ने भी प्रेरणा स्थल पर जाकर और सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार साझा किए।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अर्पित की श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद परिसर के प्रेरणा स्थल पर डॉ. अंबेडकर को नमन किया। उन्होंने इस मौके पर कहा कि डॉ. अंबेडकर ने सामाजिक न्याय और समानता की जो लौ जलाई थी, वह आज भी देश को दिशा दिखा रही है।

पीएम मोदी बोले – “बाबा साहेब की प्रेरणा से बना आत्मनिर्भर भारत”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर बाबा साहेब को नमन करते हुए लिखा,

राहुल गांधी ने दी श्रद्धांजलि, कहा – “बाबा साहेब की सोच आज भी मार्गदर्शक”

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद परिसर में प्रेरणा स्थल पर जाकर डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि अंबेडकर का संविधान आज भी लोकतंत्र की नींव है और हम उनके दिखाए रास्ते पर चलते हुए न्याय और समानता की लड़ाई जारी रखेंगे।

मल्लिकार्जुन खरगे ने दोहराई प्रतिबद्धता

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा,

बाबा साहेब का जीवन – एक प्रेरणा

1891 में एक दलित परिवार में जन्मे डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन संघर्षों से भरा रहा। जातिगत भेदभाव को झेलते हुए उन्होंने न केवल उच्च शिक्षा प्राप्त की बल्कि विदेश जाकर कानून, राजनीति और समाजशास्त्र में उच्च डिग्रियाँ हासिल कीं। उन्होंने दलितों और वंचित वर्गों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।

निष्कर्ष

बाबा साहेब का जीवन केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की उम्मीदों का प्रतीक है। अंबेडकर जयंती हमें याद दिलाती है कि सामाजिक न्याय, समानता और गरिमा के लिए लड़ाई अब भी जारी है। आज जब हम उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं, तो उनके सिद्धांतों और आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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