2029 की तैयारी में जुटे RSS चीफ मोहन भागवत और पीएम मोदी: क्या है नई रणनीति?

Bjp Rss 2029

राजनीति में आगे की सोच ही सफलता की कुंजी होती है, और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस सिद्धांत पर पूरी तरह अमल कर रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत की मुलाकात ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। इस बैठक को महज एक औपचारिक मुलाकात न मानकर, इसे 2029 के आम चुनावों की मजबूत नींव रखने वाला कदम समझा जा रहा है।

BJP-RSS के रिश्तों की गहराई

बीजेपी और आरएसएस के रिश्ते हमेशा चर्चा में रहे हैं। दोनों संगठनों के बीच कभी घनिष्ठता देखी गई, तो कभी दूरियों की अटकलें भी लगाई गईं। लेकिन हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी का नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय का दौरा इस बात का संकेत देता है कि दोनों के बीच का राजनीतिक गठबंधन और अधिक मजबूत हो रहा है। मोदी ने इस अवसर पर स्पष्ट किया कि आरएसएस केवल एक संगठन नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति की आत्मा है। यह बयान आने वाले समय में संघ की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।

2029 के लिए साझा रणनीति पर काम शुरू

सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में 2029 के आम चुनावों को लेकर एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया गया। आरएसएस की विचारधारा और संगठनात्मक ताकत के सहारे बीजेपी अपने चुनावी अभियान को और मजबूती से आगे बढ़ाने की योजना बना रही है।

मुख्य बिंदु:

  1. कार्यकर्ताओं की भूमिका: आरएसएस के कार्यकर्ताओं को राजनीतिक रूप से अधिक सक्रिय किया जाएगा, ताकि वे जनता तक पार्टी की विचारधारा को प्रभावी तरीके से पहुंचा सकें।
  2. राज्यों में मजबूत पकड़: आगामी विधानसभा चुनावों में आरएसएस की भागीदारी बढ़ाई जाएगी, जिससे बीजेपी को हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में चुनावी लाभ मिल सके।
  3. संघ और सरकार के तालमेल को बढ़ावा: बीजेपी सरकार की नीतियों को संघ के विचारों के अनुरूप ढालने पर भी चर्चा हुई, ताकि दोनों संगठनों की विचारधारा और रणनीतियां एक-दूसरे के पूरक बन सकें।
  4. संघ का विस्तार और 2029 की रणनीति: आरएसएस अपने 100वें स्थापना वर्ष (2025) को ध्यान में रखते हुए संगठन का और विस्तार करेगा। इस दौरान नए कार्यकर्ताओं की भर्ती और प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया जाएगा।

आगामी विधानसभा चुनावों पर प्रभाव

बीजेपी और आरएसएस के इस गठजोड़ का असर जल्द ही होने वाले विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में दिख सकता है। यह रणनीति बीजेपी को उन राज्यों में भी मजबूती दे सकती है, जहां पार्टी को कुछ समय से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 2024 के आम चुनावों के बाद इस गठबंधन की सफलता का परीक्षण आगामी राज्य चुनावों में होगा।

BJP कार्यकारिणी बैठक और RSS का शताब्दी वर्ष समारोह

RSS & BJP

बीजेपी की आगामी कार्यकारिणी बैठक और आरएसएस का शताब्दी वर्ष समारोह भी दोनों संगठनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दौरान बीजेपी अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा भी कर सकती है, जो 2029 के चुनावों में पार्टी की रणनीति को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा।

2029 तक की राह: एक निर्णायक गठबंधन

यह स्पष्ट है कि बीजेपी और आरएसएस का यह नया गठजोड़ केवल 2024 तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि 2029 तक भारतीय राजनीति को एक नई दिशा देने के लिए तैयार है। दोनों संगठनों की साझा रणनीति और भविष्य की योजनाएं दर्शाती हैं कि आने वाले समय में भारतीय राजनीति में इनका प्रभाव और अधिक बढ़ सकता है।

अब देखना यह होगा कि बीजेपी और आरएसएस की इस रणनीतिक साझेदारी का वास्तविक प्रभाव क्या होता है और यह गठबंधन 2029 के आम चुनावों तक किस हद तक अपनी जड़ों को मजबूत कर पाता है।

 

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