पाकिस्तान के बहावलपुर में चलाए गए भारतीय सेना के बेहद सटीक और साहसी ऑपरेशन ‘Operation Sindoor’ ने आतंकवाद की जड़ों पर करारा प्रहार किया है। इस हमले में कुख्यात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर का पूरा परिवार खत्म हो गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले में उसकी पत्नी, बेटा, बहन और बहनोई समेत कुल 10 परिजन और उसके चार करीबी सहयोगी मारे गए हैं।
मरकज में हुआ था हमला, पुलवामा जैसे हमलों की साजिश का अड्डा
भारतीय वायुसेना ने यह हमला जैश के प्रमुख ठिकाने “मरकज सुभान अल्लाह” पर किया। यह वही परिसर है जिसे जैश का संचालन और प्रशिक्षण मुख्यालय माना जाता है — जहां पुलवामा जैसे आत्मघाती हमलों की योजना बनाई जाती थी। सूत्रों का कहना है कि हमले के वक्त मसूद अजहर का पूरा परिवार वहीं मौजूद था।
मसूद अजहर की टूटी कमर, कहा – “मौत ही बेहतर होती”
भारतीय हमले के बाद जैश प्रमुख मसूद अजहर ने एक बयान जारी कर अपने परिवार और सहयोगियों की मौत की पुष्टि की। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि वह इस त्रासदी से गहरे सदमे में है और उसने कहा – “अच्छा होता मैं भी मर जाता।” यह बयान उस आतंकी के मुंह से निकला है जिसने वर्षों तक निर्दोष लोगों की जान ली और अब अपने ही घर की तबाही देख रहा है।
मदरसे में थी तैयारी, लेकिन हमले से पहले खाली कराया गया था
बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के अनुसार, सुभान अल्लाह मदरसा और मस्जिद करीब 20-25 एकड़ में फैला हुआ था। इसमें लगभग 800 छात्र पढ़ते थे, लेकिन हमले से कुछ दिन पहले ही छात्रों और शिक्षकों को वहां से हटा लिया गया था। स्थानीय निवासियों के अनुसार, हमला इतना शक्तिशाली था कि दो किलोमीटर दूर स्थित मकानों की खिड़कियां तक चटक गईं।
जैश का गढ़ बना बहावलपुर
बहावलपुर का यह क्षेत्र लंबे समय से जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ रहा है। मसूद अजहर का जन्म भी यहीं हुआ था और वह अब तक इसी इलाके में एक भारी सुरक्षा वाले परिसर में छिपा हुआ था। पाकिस्तान सरकार ने 2002 में जैश पर आधिकारिक तौर पर प्रतिबंध जरूर लगाया था, लेकिन हकीकत में उसे अपने आतंकी नेटवर्क को चलाने की खुली छूट मिली हुई थी।
आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना द्वारा की गई उन दुर्लभ कार्रवाइयों में से एक है, जो न सिर्फ रणनीतिक रूप से अहम है, बल्कि इसका प्रतीकात्मक महत्व भी बहुत बड़ा है। इस ऑपरेशन ने यह साफ कर दिया है कि भारत अब सिर्फ जवाबी कार्रवाई तक सीमित नहीं रहेगा — बल्कि आतंक के स्रोत को जड़ से उखाड़ने की नीति पर चल पड़ा है।
निष्कर्ष:
मसूद अजहर के परिवार की मौत से आतंक के एक काले अध्याय का अंत होता दिख रहा है। यह कार्रवाई उन हजारों मासूमों को न्याय दिलाने की दिशा में एक ठोस कदम है, जिन्होंने जैश के हमलों में अपनी जान गंवाई। भारत की यह नई नीति — ‘आतंक का खात्मा, सीमा के पार तक’ — न केवल साहसी है, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी है: अब चुप्पी नहीं, कार्रवाई होगी।