प्रस्तावना
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) आज पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। 2025 में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट जारी की है, जिसमें खासतौर पर भारत जैसे विकासशील देशों को लेकर गंभीर चेतावनी दी गई है।
रिपोर्ट बताती है कि अगर अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दशकों में भारत में भीषण गर्मी, अनियमित मानसून, बाढ़, चक्रवात और जल संकट जैसी समस्याएँ और गहराएँगी।
भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है और यहाँ की अर्थव्यवस्था, कृषि, स्वास्थ्य और समाज पर जलवायु परिवर्तन का सीधा असर पड़ रहा है। आइए इस ब्लॉग में विस्तार से समझते हैं कि UN की रिपोर्ट में क्या कहा गया है और भारत के लिए इसका क्या अर्थ है।
🌡️ जलवायु परिवर्तन की वैश्विक तस्वीर
UN की रिपोर्ट के अनुसार:
पिछले 5 साल (2020–2025) इतिहास के सबसे गर्म साल रहे हैं।
आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्र की बर्फ खतरनाक दर से पिघल रही है।
समुद्र का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे तटीय देशों को खतरा है।
ग्लोबल वार्मिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करने के बेहद करीब है।
यह स्थिति बताती है कि जलवायु परिवर्तन अब केवल भविष्य की समस्या नहीं, बल्कि आज की सच्चाई है।
🇮🇳 भारत पर सीधा असर
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है, लेकिन यहाँ की बड़ी आबादी अब भी जलवायु संकट का सबसे ज्यादा शिकार हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत को मुख्य रूप से इन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा:
1. भीषण गर्मी और Heat Waves
2025 की रिपोर्ट कहती है कि भारत के उत्तरी और मध्य राज्यों में गर्मी की लहर (heat waves) पहले से ज्यादा लंबी और खतरनाक होंगी।
दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में गर्मी का औसत तापमान 2-3 डिग्री तक बढ़ सकता है।
इससे हीट स्ट्रोक, पानी की कमी और बिजली की खपत जैसी समस्याएँ बढ़ेंगी।
2. अनियमित मानसून
भारत की अर्थव्यवस्था और किसानों का जीवन मानसून पर टिका है।
UN की रिपोर्ट कहती है कि मानसून अनिश्चित और असंतुलित होता जा रहा है।
कहीं बहुत ज्यादा बारिश से बाढ़ आती है, तो कहीं सूखा पड़ जाता है।
इससे फसलें खराब, खाद्य सुरक्षा पर संकट और महँगाई जैसी समस्याएँ होंगी।
3. तटीय इलाकों में खतरा
मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और विशाखापट्टनम जैसे शहर समुद्र के बढ़ते स्तर से खतरे में हैं।
2050 तक इन शहरों के लाखों लोगों को बाढ़ और समुद्री तूफानों का सामना करना पड़ सकता है।
तटीय इलाकों की मत्स्य पालन (fisheries) और पर्यटन जैसी इंडस्ट्री भी प्रभावित होगी।
4. स्वास्थ्य पर असर
तापमान बढ़ने से डेंगू, मलेरिया और अन्य मच्छर जनित बीमारियाँ तेजी से फैलेंगी।
प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से फेफड़ों और हृदय संबंधी रोग बढ़ेंगे।
बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे ज्यादा असर होगा।
5. कृषि और खाद्य संकट
फसलों की उत्पादकता में गिरावट आने की आशंका है।
गेहूँ और चावल जैसी मुख्य फसलें सूखे और बेमौसम बारिश से प्रभावित होंगी।
किसानों की आय पर संकट और खाद्य महँगाई दोनों बढ़ेंगे।
📊 रिपोर्ट के अहम आँकड़े
भारत में पिछले 50 सालों में औसत तापमान 0.7°C बढ़ चुका है।
अगर यही रफ्तार रही तो 2100 तक यह 4.4°C तक पहुँच सकता है।
हर साल भारत में करीब 17 लाख मौतें प्रदूषण और जलवायु से जुड़ी समस्याओं के कारण होती हैं।
2030 तक भारत में जलवायु परिवर्तन से 8 करोड़ लोग गरीबी की रेखा के नीचे जा सकते हैं।
⚠️ भारत के लिए UN की चेतावनी

UN की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत को तुरंत ये कदम उठाने होंगे:
कार्बन उत्सर्जन घटाना – कोयला और पेट्रोल-डीज़ल पर निर्भरता कम करनी होगी।
नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा – सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और हाइड्रो पावर में निवेश बढ़ाना।
कृषि सुधार – जलवायु-लचीली (climate-resilient) खेती को बढ़ावा देना।
शहरी प्लानिंग – शहरों में हरियाली, जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण ज़रूरी।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग – विकसित देशों से फंड और तकनीक लेकर जलवायु संकट से लड़ना।
🌱 भारत के प्रयास
भारत ने भी कई कदम उठाए हैं:
इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) की स्थापना करके दुनिया को सौर ऊर्जा की दिशा में प्रेरित किया।
2030 तक भारत का लक्ष्य है कि 50% ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से आए।
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई स्कीम चला रही है।
बड़े शहरों में ग्रीन मोबिलिटी और मेट्रो नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है।
हालाँकि, चुनौतियाँ अभी भी बहुत बड़ी हैं और गति को और तेज़ करने की ज़रूरत है।
🧑🤝🧑 जनता की भूमिका
जलवायु परिवर्तन से लड़ाई केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। आम लोग भी इन कदमों से योगदान दे सकते हैं:
पेड़ लगाना और पानी बचाना।
सिंगल-यूज़ प्लास्टिक का कम इस्तेमाल।
सौर ऊर्जा, साइकिल और सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग।
ऊर्जा बचत (LED, energy-efficient appliances)।
पर्यावरण जागरूकता फैलाना।
✍️ निष्कर्ष
UN की नई रिपोर्ट भारत के लिए एक गंभीर चेतावनी है। अगर हमने अभी कदम नहीं उठाए तो आने वाले दशक में जलवायु परिवर्तन हमारी अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, कृषि और जीवनशैली को पूरी तरह बदल देगा।
लेकिन अगर हम सही समय पर नीतियाँ, तकनीक और जनता की भागीदारी सुनिश्चित कर पाए, तो भारत न केवल इस संकट से बच सकता है बल्कि दुनिया के लिए एक पर्यावरण संरक्षक (climate leader) बन सकता है।

