Waqf Bill Update: ओवैसी और अखिलेश यादव ने किया विरोध का ऐलान तो JDU का सस्पेंस बरकरार

Waqf Bill Update

Waqf Bill Update: केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देशभर में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखा हमला बोला है, वहीं एनडीए में शामिल सहयोगी दलों के रुख को लेकर भी सस्पेंस बरकरार है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक को “वक्फ बर्बाद बिल” करार दिया, तो समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी खुलकर विरोध का ऐलान कर दिया। वहीं, जेडीयू के नेताओं के बयान से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि वे इस विधेयक के समर्थन में रहेंगे या विरोध करेंगे।

क्या है Waqf Bill?

वक्फ संपत्तियों से जुड़ा यह विधेयक मौजूदा कानून में बदलाव का प्रस्ताव करता है। केंद्र सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के उचित प्रबंधन और पारदर्शिता लाने के लिए लाया जा रहा है। वहीं, विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार इस विधेयक के जरिए मुसलमानों की धार्मिक संपत्तियों पर नियंत्रण करना चाहती है।

Waqf Bill | ओवैसी और अखिलेश का विरोध

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे “मुसलमानों से नफरत और हिंदुत्व की विचारधारा को लागू करने का प्रयास” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए वक्फ संपत्तियों को कमजोर करने और मुसलमानों के अधिकारों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस विधेयक को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “हम इस बिल के खिलाफ हैं क्योंकि बीजेपी हर जगह अपना नियंत्रण चाहती है। यह सरकार हर क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रही है और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने में लगी हुई है।”

Waqf Bill पर जेडीयू का रुख अब तक स्पष्ट नहीं

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एनडीए की सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया है, लेकिन उनका रुख अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। जेडीयू सांसद संजय झा ने कहा कि पार्टी लोकसभा में अपना स्टैंड साफ करेगी। वहीं, जेडीयू के गुलाम गौस ने इस विधेयक को “मुसलमानों के खिलाफ” बताते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की।

बीजेपी ने क्या कहा?

बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने विपक्ष के विरोध को खारिज करते हुए कहा कि यह विधेयक गरीबों की बेहतरी के लिए लाया गया है, लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, “मस्जिदों का इस्तेमाल हमेशा इबादत के लिए हुआ है, लेकिन अब इसे राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।”

बीजेपी सांसद दमोदर अग्रवाल ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह बिल मुसलमानों के हित में लाया गया है और कुछ लोग इसे लेकर गलतफहमी फैला रहे हैं।

कांग्रेस और अन्य दलों की प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने सरकार से आग्रह किया कि इस विधेयक पर खुली चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में कांग्रेस द्वारा दिए गए सुझावों को मान लेती, तो यह विवाद खड़ा नहीं होता।

लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के सांसद अरुण भारती ने भी विपक्ष पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वक्फ कानून में पहले भी संशोधन किए गए हैं, लेकिन इस बार इसे लेकर अनावश्यक डर फैलाया जा रहा है।

क्या कहना है धार्मिक संगठनों का?

अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने इस मुद्दे पर कहा कि इस विधेयक के नाम पर लोगों को गुमराह करना सही नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर कोई बदलाव किया जाता है, तो वह वक्फ संपत्तियों की भलाई के लिए होना चाहिए। सरकार की मंशा भी यही होनी चाहिए।”

निष्कर्ष

वक्फ संशोधन विधेयक पर देशभर में गहमागहमी मची हुई है। एक तरफ जहां विपक्षी दल इसे मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं, वहीं सरकार का कहना है कि यह विधेयक पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया है। जेडीयू समेत अन्य दलों के रुख से यह तय होगा कि यह विधेयक संसद में कितना विवाद खड़ा करेगा। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी समीकरण और भी दिलचस्प हो सकते हैं।

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