PM Modi Mauritius Visit: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों मॉरीशस के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने 12 मार्च को राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस दौरे के दौरान, पीएम मोदी को मॉरीशस का सर्वोच्च सम्मान ‘द ग्रैंड कमांडर ऑफ़ ऑर्डर ऑफ़ द स्टार एंड की ऑफ़ द इंडियन ओशन’ प्रदान किया गया, जिससे भारत और मॉरीशस के ऐतिहासिक संबंधों को और अधिक मजबूती मिली।
मॉरीशस और भारत का ऐतिहासिक रिश्ता
#WATCH | Port Louis | PM Narendra Modi and Prime Minister of Mauritius Navinchandra Ramgoolam witness the exchange of agreements between the two countries pic.twitter.com/W1GlPeOiPb
— ANI (@ANI) March 12, 2025
मॉरीशस, हिंद महासागर में स्थित एक द्वीपीय राष्ट्र है, जिसका भारत से गहरा संबंध है। 19वीं शताब्दी में जब ब्रिटिश शासन के अंतर्गत भारत से बड़ी संख्या में गिरमिटिया मजदूरों को मॉरीशस लाया गया, तभी से यह रिश्ता मजबूत हुआ। वे मजदूर मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार के थे, और उन्होंने मॉरीशस में अपने रीति-रिवाज, भाषा और संस्कृति को बनाए रखा। यही वजह है कि आज भी मॉरीशस की संस्कृति पर भारतीय प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
भोजपुरी भाषा का मॉरीशस से गहरा नाता
मॉरीशस और भारत का रिश्ता सिर्फ राजनीतिक और आर्थिक नहीं, बल्कि भाषाई और सांस्कृतिक भी है। भोजपुरी भाषा इस संबंध का सबसे बड़ा प्रमाण है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रधानमंत्री मोदी के दौरे की जानकारी भोजपुरी में साझा की, जिसे सोशल मीडिया पर खूब सराहा गया।
जब पीएम मोदी मॉरीशस पहुंचे, तो उनका स्वागत पारंपरिक भोजपुरी संगीत और नृत्य के साथ किया गया। इस पर प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, “मॉरीशस में अविस्मरणीय स्वागत से बहुत अभिभूत हूं। यहां की संस्कृति में भारतीयता किस तरह रची-बसी है, इसकी पूरी झलक देखने को मिली।”
गिरमिटिया मजदूरों का ऐतिहासिक सफर
मॉरीशस में भारतीयों की मौजूदगी का इतिहास 19वीं सदी की शुरुआत से जुड़ा है, जब ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से हजारों मजदूरों को वहां ले जाकर बसाया। ये मजदूर वहां की गन्ना खेती में काम करने के लिए गिरमिटिया प्रणाली के तहत गए थे।
1834 से 1900 के बीच करीब पांच लाख भारतीय मॉरीशस पहुंचे, जिन्होंने वहां की संस्कृति और समाज में गहरा प्रभाव डाला। आज, मॉरीशस की कुल आबादी का लगभग 70% हिस्सा भारतीय मूल के लोगों का है, जिनमें से बड़ी संख्या में भोजपुरी भाषी हैं।
पीएम मोदी का विशेष सम्मान
मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने पीएम मोदी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों की गरिमा और बढ़ी। इस सम्मान को पाने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं।
भारत-मॉरीशस के कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध
भारत और मॉरीशस के बीच न केवल सांस्कृतिक बल्कि आर्थिक और सामरिक संबंध भी मजबूत हैं।
- व्यापारिक संबंध: दोनों देशों के बीच 78.1 करोड़ डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है। भारत मुख्य रूप से मॉरीशस को पेट्रोलियम, दवाएं, अनाज और कपास निर्यात करता है, जबकि मॉरीशस भारत को मेडिकल उपकरण, एल्युमीनियम और रिफाइंड कॉपर निर्यात करता है।
- रक्षा सहयोग: मॉरीशस हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का अहम रणनीतिक साझेदार है। भारत यहां की समुद्री सुरक्षा में मदद करता है और अगालेगा द्वीप पर एक हवाई पट्टी का निर्माण कर रहा है।
- संस्कृति और पर्यटन: मॉरीशस में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इंदिरा गांधी सेंटर फॉर इंडियन कल्चर स्थापित किया गया है। कोविड से पहले हर साल 80,000 भारतीय मॉरीशस घूमने जाते थे।
मॉरीशस की स्वतंत्रता और भारत का योगदान
मॉरीशस को 12 मार्च 1968 को ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली थी, और इस तारीख का संबंध महात्मा गांधी से भी है। जब गांधी 1901 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट रहे थे, तो वे मॉरीशस में रुके थे और उन्होंने भारतीय समुदाय को संगठित करने का प्रयास किया। इसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए 12 मार्च को मॉरीशस का राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।
मॉरीशस में भारतीय मूल के नेता
मॉरीशस में कई प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भारतीय मूल के रहे हैं। 2013 में, मॉरीशस के तत्कालीन राष्ट्रपति राजकेश्वर पुरयाग ने अपने पूर्वजों की जड़ों की तलाश में बिहार का दौरा किया था। उन्होंने अपने परदादा के गांव जाकर भावनात्मक रूप से अपने भारतीय मूल के बारे में बात की थी।
भारत-मॉरीशस के रणनीतिक संबंध
भारत और मॉरीशस के संबंध सिर्फ सांस्कृतिक और व्यापारिक ही नहीं, बल्कि सामरिक भी हैं। मॉरीशस हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सुरक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत वहां की नौसेना को प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान करता है।
अगालेगा द्वीप पर भारत एक हवाई पट्टी और जेट्टी बना रहा है, जिसे सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह हिंद महासागर में भारत की समुद्री शक्ति को बढ़ाने में मदद करेगा।
भविष्य के लिए संभावनाएँ
भारत और मॉरीशस के संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। डिजिटल इंडिया मिशन के तहत भारत मॉरीशस को टेक्नोलॉजी में भी सहयोग दे रहा है। दोनों देशों के बीच शिक्षा, विज्ञान और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ रहा है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का मॉरीशस दौरा सिर्फ एक राजनयिक यात्रा नहीं, बल्कि भारत की ऐतिहासिक जड़ों और सांस्कृतिक धरोहर को पुनः जागृत करने का अवसर है। भोजपुरी भाषा और गिरमिटिया मजदूरों के संघर्ष की कहानी मॉरीशस की मिट्टी में आज भी जीवंत है, जो दोनों देशों के बीच अद्वितीय संबंधों की नींव को और भी मजबूत करती है।
भारत और मॉरीशस के संबंध सिर्फ अतीत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि भविष्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण साझेदारी को दर्शाते हैं। आर्थिक, सांस्कृतिक और सामरिक संबंधों के इस मजबूती के साथ यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत और मॉरीशस की दोस्ती आने वाले समय में और गहरी होगी।