‘PoK मिलते ही खत्म हो जाएगा कश्मीर विवाद’ – विदेश मंत्री एस जयशंकर का बड़ा बयान

Jaishankar on Kashmir

Jaishankar on Kashmir: विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों लंदन के दौरे पर गए हुए हैं, वहा उन्होंने एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति के लिए भारत सरकार के प्रयासों और पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) के मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय साझा की। उन्होंने कहा कि PoK के भारत में लौटने के बाद कश्मीर का विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा।

कश्मीर मुद्दे पर भारत के ठोस कदम

लंदन में “विश्व में भारत का उदय और भूमिका” शीर्षक से आयोजित एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कश्मीर घाटी के मुद्दे पर भारत द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस तरह से भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया।

धारा 370 को हटाने के बाद से कश्मीर में विकास कार्यों को प्रोत्साहित करने, आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने पर जोर दिया गया है। जयशंकर ने कहा, “अनुच्छेद 370 का हटाया जाना, कश्मीर के स्थायी समाधान की दिशा में पहला कदम था। इसके बाद, कश्मीर में सामाजिक न्याय और विकास को प्राथमिकता दी गई, जिससे वहां के लोगों को बेहतर अवसर मिले।”

इसके अतिरिक्त, जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव और उसमें जनता की भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि घाटी में लोकतांत्रिक ढांचे को बहाल करने के भारत के प्रयास सफल रहे हैं। भारी संख्या में मतदान ने यह साबित किया है कि लोग अब शांति और विकास चाहते हैं।

PoK की वापसी से समाप्त होगा कश्मीर विवाद

विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने बयान में जोर देते हुए कहा कि कश्मीर विवाद तब तक पूरी तरह हल नहीं हो सकता जब तक कि पाकिस्तान के कब्जे में मौजूद कश्मीर (PoK) भारत को वापस नहीं मिलता। उन्होंने कहा, “कश्मीर का अधिकांश मुद्दा हम सुलझा चुके हैं, लेकिन PoK की वापसी के बिना यह विवाद पूरी तरह से हल नहीं हो सकता। जब PoK भारत को मिलेगा, तब कश्मीर का यह पुराना मसला हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा।”

यह बयान इस बात का संकेत है कि भारत अब PoK के मुद्दे पर स्पष्ट और सशक्त रुख अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जयशंकर ने कहा, “हमारे लिए कश्मीर का पूरा हिस्सा भारत का अभिन्न अंग है, और जब तक हम इसे वापस नहीं पा लेते, तब तक हमारी यह लड़ाई जारी रहेगी।”

चीन के साथ भारत के संबंधों पर विदेश मंत्री की राय

कार्यक्रम के दौरान जब विदेश मंत्री से भारत-चीन संबंधों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच एक बहुत ही खास प्रकार का रिश्ता है। दोनों देश विशाल जनसंख्या और पुरानी सभ्यताओं के साथ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन उनके बीच संबंध जटिल हैं।

जयशंकर ने कहा, “हम दोनों देश एक अरब से अधिक आबादी के साथ तेजी से विकसित हो रहे हैं। हमारे बीच उतार-चढ़ाव भी आए हैं, लेकिन हम सीधे पड़ोसी होने के नाते एक-दूसरे के साथ कई तरह से जुड़े हुए हैं। चुनौती यह है कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, हमारे रिश्ते और संतुलन भी बदलते हैं।”

उन्होंने कहा कि जब दो बड़े देश समानांतर रूप से विकसित होते हैं, तो उनके आपसी संबंधों में जटिलताएं होना स्वाभाविक है। दोनों देशों के बीच रिश्तों का संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है, ताकि पड़ोसी होने के नाते आपसी सहयोग और प्रतिस्पर्धा के बीच संतुलन बना रहे।

जयशंकर के बयान की प्रासंगिकता

Jaishankar on Kashmir

विदेश मंत्री एस जयशंकर का यह बयान एक ऐसे समय में आया है जब कश्मीर में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है और भारत सरकार शांति स्थापित करने के लिए लगातार प्रयासरत है। उनके बयान से स्पष्ट है कि भारत अब PoK के मुद्दे पर अपने रुख को और सशक्त बना रहा है और भविष्य में कश्मीर के इस हिस्से को पुनः प्राप्त करने के लिए ठोस रणनीति बना सकता है।

इसके साथ ही चीन के साथ संबंधों पर विदेश मंत्री की टिप्पणियां भी अहम हैं, क्योंकि भारत-चीन संबंध भी वर्तमान में जटिल दौर से गुजर रहे हैं। जयशंकर के अनुसार, दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बनाए रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ ही भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा को प्राथमिकता देना जारी रखेगा।

निष्कर्ष

विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत कश्मीर के मुद्दे पर अपने रुख से कोई समझौता नहीं करेगा और PoK की वापसी के साथ ही इस विवाद का स्थायी समाधान हो सकता है। यह बयान भारत की दृढ़ संकल्पना को दर्शाता है कि वह अपने हर हिस्से को वापस पाने के लिए प्रतिबद्ध है और कश्मीर में शांति और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयास जारी रखेगा।

कश्मीर में शांति की दिशा में भारत के ये प्रयास न केवल वहां की जनता को एक बेहतर भविष्य देंगे, बल्कि इससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत की स्थिति और मजबूत होगी। PoK की वापसी के बाद कश्मीर विवाद का समाधान होने की संभावना इस दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

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