हाल ही में अमेरिकी सेना का एक विमान अमृतसर के गुरु रविदास अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा, जिसमें अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 205 भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया। यह कदम अमेरिकी प्रशासन की प्रवासी नीतियों में आए बदलावों को दर्शाता है।
क्यों हुई यह कार्रवाई?
डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद यह अमेरिका से भारतीयों का पहला आधिकारिक निर्वासन है। अमेरिका में बिना दस्तावेज़ों के रह रहे भारतीयों पर शिकंजा कसने की नीति अपनाई जा रही है, और इसी के तहत यह कार्रवाई की गई। कई भारतीय नागरिक रोजगार और बेहतर भविष्य की तलाश में अमेरिका गए थे, लेकिन वर्क परमिट खत्म होने के कारण वे अवैध प्रवासियों की श्रेणी में आ गए।
अमृतसर पहुंचने के बाद क्या हुआ?
अमृतसर हवाई अड्डे पर इन प्रवासियों को पंजाब सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने रिसीव किया। पंजाब सरकार में एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल खुद इन लोगों का स्वागत करने पहुंचे। उन्होंने इसे एक गंभीर मामला बताया और कहा कि वे जल्द ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात कर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।
पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इन लोगों की पहचान और उनके मामलों की पूरी जानकारी केंद्र सरकार के पास है, और राज्य सरकार केंद्र से समन्वय स्थापित कर रही है।
सेना का उपयोग क्यों किया गया?
आमतौर पर अमेरिका में अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने का काम वहां के आप्रवासन विभाग द्वारा किया जाता है। लेकिन इस बार अमेरिकी सेना को इस काम में शामिल किया गया।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने पहले ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास के अवैध प्रवासियों को भी सेना के जरिए उनके देश वापस भेजा था। मिलिट्री डिपोर्टेशन प्रक्रिया अमेरिका के लिए अधिक खर्चीली साबित हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में ग्वाटेमाला भेजे गए प्रत्येक व्यक्ति पर लगभग 4,700 डॉलर (करीब 4 लाख रुपये) का खर्च आया।
भारत-अमेरिका के बीच चर्चा
पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फ़ोन पर बातचीत के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की थी। ट्रंप ने अवैध भारतीय प्रवासियों पर चिंता जताते हुए कहा कि भारत को इस पर उचित कदम उठाने चाहिए।
इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत अवैध प्रवासन का समर्थन नहीं करता। उन्होंने कहा, “अवैध प्रवासन कई अवैध गतिविधियों से जुड़ा होता है, जो हमारी प्रतिष्ठा के लिए ठीक नहीं है। अगर कोई भारतीय नागरिक अमेरिका में अवैध रूप से रहता पाया जाता है, तो हम उसे क़ानूनी रूप से वापस लाने के लिए तैयार हैं।”
क्या सबक लेने की ज़रूरत है?
यह मामला भारत में उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो अवैध तरीकों से विदेश जाने का सपना देखते हैं। पंजाब सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे वैध दस्तावेज़ों के बिना विदेश यात्रा न करें।
एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप धालीवाल ने कहा कि भारतीय प्रवासियों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान दिया, इसलिए उन्हें नागरिकता मिलनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस मुद्दे पर भारत सरकार को अमेरिका से दोबारा चर्चा करनी चाहिए।
निष्कर्ष
अमेरिका द्वारा अवैध भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने की प्रक्रिया अब और तेज़ हो सकती है। इस घटना के बाद भारत सरकार को न केवल अपने प्रवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी, बल्कि लोगों को अवैध प्रवासन के खतरों से भी जागरूक करना होगा।
यह मामला दिखाता है कि बिना दस्तावेज़ों के विदेश जाना केवल जोखिम ही नहीं, बल्कि जीवन को जटिल बना सकता है। इसलिए, सुरक्षित और वैध तरीकों से विदेश जाने की योजना बनाना ही सबसे बेहतर उपाय है।