विवाह हिंदू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसे न केवल सामाजिक दृष्टिकोण से, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्व दिया जाता है। विवाह का समय और मुहूर्त (Wedding Muhurat Vidhi) चुनना एक गहरी विचार प्रक्रिया है, और इसे सही तरीके से करने का उद्देश्य जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति लाना है। इस संदर्भ में, विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बात यह है कि विवाह मुहूर्त का चयन करते समय जन्म मास, जन्म नक्षत्र और जन्म दिन का महत्व अत्यधिक होता है।
विवाह मुहूर्त और ज्योतिष का संबंध
हिंदू धर्म में विवाह का समय विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसे जीवन के सबसे बड़े संस्कारों में से एक माना जाता है। इसके आयोजन के लिए जो मुहूर्त चुना जाता है, वह ज्योतिषीय सिद्धांतों के आधार पर होता है। विवाह मुहूर्त में अनेक कारक ध्यान में रखे जाते हैं, जिनमें मुख्य रूप से ग्रहों की स्थिति, नक्षत्र, तिथि और मास का असर होता है।
ज्योतिष के अनुसार, हर व्यक्ति के जीवन में ग्रहों और नक्षत्रों का विशेष प्रभाव होता है। एक सही विवाह मुहूर्त वह होता है जब ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति अनुकूल होती है और कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। इसके लिए पं. सुबिमल पांडे जैसे ज्योतिषज्ञों का कहना है कि विवाह का समय लड़की या लड़के के जन्म से संबंधित तत्वों को ध्यान में रखते हुए ही तय किया जाना चाहिए। यदि विवाह उनके जन्म के मास, नक्षत्र और दिन से संबंधित समय पर हो, तो यह उनके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
गर्भ से पहले के मुहूर्त का महत्व
भारतीय संस्कृति में गर्भाधान (conception) और विवाह के समय का संबंध बहुत गहरे से समझा जाता है। एक विश्वास है कि जब एक लड़की या लड़के का विवाह उनके जन्म से संबंधित किसी विशेष समय पर किया जाता है, तो यह उनके जीवन में तनाव और कठिनाई पैदा कर सकता है। विवाह के समय ग्रहों की स्थिति, नक्षत्र और तिथि का प्रभाव उनके जीवन में स्थिरता और सफलता को प्रभावित करता है।
इसलिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण होता है कि विवाह के समय का चयन बहुत ही सावधानी से किया जाए, ताकि यह न केवल व्यक्ति के जीवन को सुखी बनाए, बल्कि उनके स्वास्थ्य और मानसिक शांति को भी सुनिश्चित कर सके। ज्योतिष में यह सिद्धांत है कि किसी भी व्यक्ति का विवाह उनके जन्म के समय से संबंधित ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव से बाहर होना चाहिए, ताकि विवाह में सुख-शांति बनी रहे और जीवन में कोई अशुभ प्रभाव न पड़े।
विवाह मुहूर्त (Wedding Muhurat Vidhi) और जन्म के नक्षत्र का प्रभाव
विवाह मुहूर्त के लिए ज्योतिषीय सलाह लेने की प्रक्रिया में यह भी ध्यान रखा जाता है कि विवाह के समय का प्रभाव व्यक्ति के जन्म नक्षत्र पर न पड़े। हिंदू धर्म में हर व्यक्ति का जन्म एक विशेष नक्षत्र में होता है, और नक्षत्रों का विवाह मुहूर्त पर भी असर पड़ता है। यदि विवाह का समय किसी व्यक्ति के जन्म नक्षत्र से मेल खाता है, तो यह उसे जीवन में कष्ट और असमंजस की स्थिति में डाल सकता है। इसलिए, ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह सलाह दी जाती है कि विवाह मुहूर्त का चयन सावधानीपूर्वक किया जाए।
इसके अतिरिक्त, जन्म मास भी महत्वपूर्ण होता है। कुछ मास में विवाह करने से जीवन में सौभाग्य और शांति आती है, जबकि अन्य मास में विवाह करने से जीवन में चुनौतियाँ आ सकती हैं। इस कारण से, ज्योतिष में हर महीने का विश्लेषण किया जाता है और उस महीने को ध्यान में रखते हुए विवाह मुहूर्त का चयन किया जाता है।
पं. सुबिमल पांडे का विचार
पं. सुबिमल पांडे, जो एक प्रसिद्ध ज्योतिषी हैं, उनका मानना है कि विवाह का मुहूर्त उस व्यक्ति के जन्म मास, जन्म नक्षत्र और जन्म दिन से मेल नहीं खाता होना चाहिए। वे कहते हैं कि विवाह के समय को इस प्रकार से चुना जाना चाहिए कि यह व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का कारण बने। उनका यह दृष्टिकोण भारतीय ज्योतिष और पारंपरिक विधियों के महत्व को दर्शाता है।
उनके अनुसार, यदि विवाह का समय किसी व्यक्ति के जन्म के नक्षत्र, मास और दिन से मेल खाता है, तो यह व्यक्ति के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। यह केवल शादी के दिन का ही मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे जीवन की दिशा और ऊर्जा पर असर डालता है।
ज्योतिषीय प्रक्रिया में विवाह मुहूर्त का चयन
विवाह मुहूर्त (Wedding Muhurat Vidhi) का चयन करते समय ज्योतिषीय प्रक्रिया के अंतर्गत कई पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। सबसे पहले, यह देखा जाता है कि ग्रहों की स्थिति और नक्षत्रों की स्थिति उस व्यक्ति के लिए शुभ हैं या नहीं। फिर यह देखा जाता है कि विवाह के दिन का माहौल और तिथि उस व्यक्ति के जन्म के समय से मेल खाती है या नहीं। इसके बाद, विवाह के समय को इस प्रकार से तय किया जाता है कि वह व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करे।
साथ ही, यह भी ध्यान रखा जाता है कि विवाह के बाद की दिशा, जैसे की दांपत्य जीवन, संतान प्राप्ति, और परिवार में सामंजस्य, सभी अनुकूल हो। जब विवाह मुहूर्त को पूरी तरह से ज्योतिषीय गणनाओं और सलाह के आधार पर तय किया जाता है, तो यह व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने का काम करता है।
निष्कर्ष (Wedding Muhurat Vidhi)
विवाह का समय और मुहूर्त का चुनाव अत्यधिक सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि यह जीवन की दिशा को प्रभावित करता है। ज्योतिषीय सिद्धांतों के अनुसार, विवाह का मुहूर्त ऐसा होना चाहिए जो व्यक्ति के जन्म मास, नक्षत्र और दिन से मेल न खाता हो। इससे जीवन में समृद्धि, शांति और सुख बनी रहती है। इसलिए, किसी भी विवाह के समय का चयन करते समय ज्योतिषीय सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है। विवाह मुहूर्त के चयन से व्यक्ति का जीवन न केवल सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से संपूर्ण होता है, बल्कि यह उसे मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
लेखक : कोमल पांडे
ज्योतिष विश्लेषक
झारखंड, भारत