नगर संवाददाता : शिक्षा केवल हमें भविष्य के मार्ग पर चलना ही नहीं सिखाती, अपितु हमें जीवन जीने की राह भी दिखाती है ! किन्तु, यह एक विशुद्ध सेवा का माध्यम भी बन सकती है, यदि उसे जीवन को परिष्कृत करने के लिए ग्रहण किया जाय, केवल नौकरी के लिए नहीं। शिक्षा के माध्यम से समाज सेवा का विलक्षण उदाहरण प्रस्तुत करने वाली, अदम्य साहस की धनी, संकल्प की प्रतिमूर्ति डॉ प्रत्यूष वत्सला जी ने दिल्ली विश्व विद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज को अपनी साधना और सेवा की तपस्थली बना दिया है, दिल्ली विश्वविद्यालय का लक्ष्मीबाई कॉलेज !
लक्ष्मीबाई कॉलेज: एक अनुपम प्रयोग कैसे बना शिक्षा क्षेत्र में उदाहरण
विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत की राजधानी दिल्ली में प्रतिष्ठत यूनिवर्सिटी दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज के समूचे परिसर में एक आधुनिक गुरुकुल की संकल्पना का दर्शन कर सकते है, कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ प्रत्युष वत्सला जी के कुशल निर्देशन एवं मार्गदर्शन में, एक ओर वर्चुअल हेल्पलाइन, थीनलाइन कंप्यूटर्स, स्टूडियों, कैशलैस आईडी कार्ड्स और सोलर पैनल्स जैसी आधुनिक तकनीक से लैस है तो दूसरी ओर आध्यात्मिक चेतना से भी सराबोर है।
हम सभी के जीवन में हमारे शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के बारें में कैसी और क्या अवधारणा रही वह तो हम सभी जानते ही हैं, किन्तु आप जब लक्ष्मीबाई कॉलेज में पढ़ रही छात्राओं और वहाँ के अध्यापक/अध्यापिकाओं से पूछेंगे तो आपको समझ आएगा कि क्या होता है विजन और क्या होता है उसे धरातल पर उतारने का जुनून। और उस जुनून में कुछ भी कर गुजरने का साहस, बाधाओं और कंटकों की परवाह किए बिना। हम जानते हैं कि जब एक शिक्षक और उसमें भी संस्थान का मुखिया यदि ठान ले तो किसी भी संस्थान की तस्वीर बदली जा सकती है ।
लक्ष्मीबाई कॉलेज का भवन और परिसर कैसे बने उदाहरण
लोक मंगल की भावना से काम करते हुए, कॉलेज में इंफ्रास्टक्चर के नए आयाम खड़े करने का विषय हो, जैसे कि प्रज्ञान केंद्र पीसी ब्लॉक, अन्नपूर्णा भवन, कैंटीन, एवं स्पोर्ट्स ग्राउंड में खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों के लिए वाशरूम्स बनाना हो, मुख्य भवन के वृहद स्तर पर सुदृढ़ीकरण से लेकर नए विस्तार भवनों का निर्माण, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की सुविधा हो या झलकारी बाई अत्याधुनिक शूटिंग रेंज का निर्माण, गार्गी सभागार हो याकि विश्वकर्मा कौशल केंद्र, ललित कला प्रांगण हो याकि कला मंच, प्रशासनिक कौटिल्य भवन का निर्माण हो या की लक्ष्मीबाई वाटिका या भित्तिचित्रों के माध्यम से लक्ष्मीबाई सहित हमारे वीर योद्धाओं को श्रद्धांजलि देने का प्रयास, आपको राष्ट्रीयता और भारतीय संस्कृति की झलक मिलेगी। पुस्तकालय का आधुनिकीकरण, एसी वाचनालय की सुविधा के साथ हो या कि विद्या की अधिष्ठात्री देवी की मूर्ति स्थापना हो, 108 कुंडी हवन के साथ, हर जगह, हर कहीं एक नव ऊर्जा और आध्यात्मिक चेतना का स्पंदन देखा जा सकता है । चार मंजिला विक्रमशिला भवन जिसमें लिफ्ट्स, कंप्यूटर लैब्स, साइंस लेब, ऑडियो वीडियो सुविधा, स्मार्ट इंटरैक्टिव बोर्ड आदि का प्रावधान है जिससे युवा अपने प्राचीनतम विश्वविद्यालयों के नामों से भी परिचित हो सकें और आधुनिकतम तकनीक और उच्च कोटि के इन्फ्रास्ट्रक्चर देखते ही बनता है ।
शहर और भारतीय ग्रामीण संस्कृति का सामंजस्य
शहरीकरण के दौर में हमारे विद्यार्थी ग्रामीण संस्कृति से जुड़े रहें उसके लिए महाविद्यालय के एक उपेक्षित स्थान को गोकुल गांव का रूप दिया गया है, जहां स्थानीय समाज के सहयोग से बाल संस्कार केंद्र एवं गीता जयंती व पारंपरिक भोजन भी बनता है। आश्चर्य का विषय है, कि एक महाविद्यालय में यज्ञशाला, तालाब, गौ पालन, बत्तक पालन, बालिकाओं के लिए स्वावलंबन हेतु प्रशिक्षण, ग्रह नक्षत्र वाटिका एवं उद्यमिता विकास केंद्र भी चल रहा है। गोबर गैस प्लांट से लेकर गोवर्धन पूजा तक, गोबर के हवनकप एवं बायोएंजाइमस, मशरूम उत्पादन, बी कीपिंग, बटरफ्लाई गार्डन, पक्षी संरक्षण केंद्र इको पार्क भी चल रहा है। समय समय पर प्रकृति संवाद, नदी संवाद व यमुना व साहिबी नदी के संरक्षण की अलख भी यहां से जगाई जाती है। जुनून का आलम तो यह है कि वत्सला जी जाग जाग तू दिल्ली जागे, जागे दिल्लीवासी। सुनते हैं हम दिल्ली में मां यमुना है प्यासी। और G 20 पर प्रेरणा गीत भी लिखती है जिसे शिक्षा मंत्रालय के ट्विटर, यू ट्यूब जैसे सोशल मीडिया हैंडल्स द्वारा शेयर भी किया गया है। इतना ही नहीं, परंपरा ब्रांड के माध्यम से श्री अन्न मिलिट कुकीज़ का उत्पादन हो या कस्टमाइज्ड प्रिंटिंग, यहां व्यर्थ से भी अर्थ का प्रकल्प चलाया जा रहा है जिसमें कॉलेज से मरम्मत के दौरान निकलने वाले वेस्ट को भी खूबसूरत प्लांटर्स का रूप दिया गया है। यहां महाविद्यालय परिसर में फिट इंडिया और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने हेतु बाईसिकिल की भी व्यवस्था की गई है जिसे लक्ष्मीबाई रेजिमेंट के अंतर्गत छात्राओं को खुशी के साथ सीखते, चलाते हुए देखा जा सकता है। वजीरपुर स्लम क्षेत्र में भी विश्वास प्रकल्प विवेकानंद यूथ इनिशिएटिव ऑफ स्ट्रेंथ, हैप्पीनेस, वैल्यूज, अवेयरनेस ऐंड सर्विस के रूप में बच्चों की शिक्षा हेतु चलाया जाता है।
कोविड महामारी में कॉलेज का सराहनीय योगदान
कोविड महामारी से जब पूरा विश्व हिल गया था, वहाँ पूरे कोविड काल में प्रधानाचार्य डॉ प्रत्यूष वत्सला जी द्वारा उसका डट कर सामना किया। उन्होंने अपने यहाँ लक्ष्मीबाई कोविड केयर सेंटर चलाया जहां सेवा भारती के सहयोग से क्लासरूम को ही वार्ड में बदल कर अस्पताल बना दिया गया। ऐसे समय में जब स्वयं व स्वयं के घर में भी सब महामारी की चपेट में हों, सहायक उपकरण एवं आक्सीजन के साथ आइसोलेशन सेंटर्स की व्यवस्था, निशुल्क भोजन, एम्बुलेंस के दान की व्यवस्था, कोविड परीक्षण, टीकाकरण एवं उसके बाद भी पोस्ट कोविड केयर सेंटर चलाना, सच में बहुत ही बहादुरी का काम था, दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के अंतर्गत, छात्राओं के कॉलेज में, कोविड में इतनी सघन सक्रियता समाज के लिए अतुलनीय उदाहरण बनी। आज भी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में आरोग्यं से तत्वमसि चिकित्सकीय एवं मनोवैज्ञानिक परामर्श तथा ध्यान केंद्र के माध्यम से मानवता की सेवा अनवरत चल रही है।
कॉलेज को कैसे बनाया गतिविधियों का केंद्र
कुशल नेत्रत्व और कार्य करने की उत्कृष्ठ भावना का अनुपम उदाहरण देखना तो हम देखेंगे, डॉ वत्सला के प्रयासों से महाविद्यालय में एक सामाजिक संस्था द्वारा प्रदत्त झूले न केवल अपने महाविद्यालय में वरन दिल्ली विश्वविद्यालय के अलग अलग संस्थानों में लगवाने का कार्य, ऑर्गेनिक वेजिटेबल गार्डन हो, लक्ष्मीबाई वाटिका में मूर्ति की भव्यता को नया रूप देता हुआ हमारा विशाल राष्ट्रीय ध्वज हो, जो लहराता हुआ हमारा मान बढ़ा रहा है, कॉलेज के प्रत्येक विद्यार्थी के लिए हर पल-हर कदम सक्रिय, सहज सुलभ एक अभिभावक के रूप में उनकी सुलभता अतुलनीय है। युवाओं एवं स्थानीय समाज को अपनी सनातन संस्कृति से जोड़ने के क्रम में महाविद्यालय में अयोध्या दर्शन व अयोध्या धाम जैसे प्रकल्प भी बनाए गए है, जो महाविद्यालय को सेवा, त्याग जैसे मूल्यों के साथ, स्वामी विवेकानंद के भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार जैसे आदर्शों को शिक्षा के माध्यम से दैनंदिन जीवन में उतारने का सफल प्रयास प्रतीत होते है, जो कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आदर्शों के अनुरूप भारतीय ज्ञान परंपरा को आज के आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के समय में अक्षुण्ण रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि इसी में मानवता का कल्याण निहित है। आदरणीय वत्सला जी के शब्दों में कहें तो उनका यह गिलहरी प्रयास अपने भारत के उस बड़े संकल्प का ही हिस्सा है जहां हमें इस पीड़ित विश्व में मार्गदर्शक की भूमिका निभाने के लिए युवाओं को तैयार करना है यह बताते हुए कि यह विश्व विजय की चाह नहीं, हमको तो राह दिखानी है। मानवता की जय निश्चित कर, यह पीड़ित धरा बचानी है। उनके G 20 गीत से साभार।
स्वामी विवेकानंद अवॉर्ड से सम्मानित किया गया
इसलिए इस सम्पूर्ण उदाहरण से हम देश की राजधानी अर्थात एक महानगर में घनघोर शहरीकरण के वातावरण में एक शिक्षण संस्थान को सेवा का माध्यम बन सकता है, यह चिरतार्थ करके दिखाया लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ प्रत्युष वत्सला द्वारा । सेवा, संस्कृति, साधना, शिक्षा, खेल और स्वाध्याय, स्वावलंबन, और संवाद का स्वस्थ वातावरण निर्मित करने हेतु सोशल रिफॉर्म्स एण्ड रिसर्च ऑर्गनाइजेशन द्वारा 162 वीं स्वामी विवेकानंद जयंती पर अवसर पर आयोजित “भारतीय यूथ पार्लियामेंट” में “स्वामी विवेकानंद अवॉर्ड-2025” से सम्मानित किया गया ।
रिपोर्ट
नगर संवाददाता
नई दिल्ली