झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा आयोजित संयुक्त स्नातक स्तरीय (CGL) परीक्षा के परिणामों को लेकर विवादों का दौर जारी है। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं, जिससे योग्य छात्रों के अधिकारों का हनन हुआ है। इस विरोध के चलते राज्य के विभिन्न हिस्सों में छात्रों का विरोध प्रदर्शन तेजी से बढ़ा |
प्रदर्शन की पृष्ठभूमि
JSSC CGL परीक्षा का आयोजन सरकारी विभागों में भर्ती के लिए किया गया था। परीक्षा के परिणाम घोषित होते ही कई छात्रों ने आरोप लगाया कि कट-ऑफ अंक और चयन सूची में पारदर्शिता की कमी है। छात्रों का कहना है कि आयोग ने बिना कट-ऑफ अंक जारी किए, केवल चयनित छात्रों की सूची प्रकाशित कर दी, जिससे व्यापक असंतोष उत्पन्न हुआ। कई छात्रों ने इस प्रक्रिया को पक्षपाती और अनियमित बताया।
हजारीबाग में पुलिस लाठीचार्ज
हजारीबाग में छात्रों ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करते हुए अपनी मांगें रखीं। लेकिन, पुलिस ने इस प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए बल का प्रयोग किया, जिसमें लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इस कार्रवाई में कई छात्र घायल हो गए। घटना के बाद छात्रों में रोष और अधिक बढ़ गया।
देवेंद्रनाथ महतो की गिरफ्तारी
जन संघर्ष छात्र मोर्चा (JLKM) के प्रमुख नेता देवेंद्रनाथ महतो को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उन्होंने परीक्षा प्रक्रिया में धांधली और छात्रों पर पुलिसिया कार्रवाई की कड़ी निंदा की। महतो ने मांग की कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और परीक्षा प्रक्रिया की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कराई जाए। उनकी गिरफ्तारी के बाद छात्रों ने रांची में बड़े पैमाने पर कैंडल मार्च का आयोजन किया।
प्रमुख मांगे और प्रदर्शनकारियों के आरोप
छात्रों और प्रदर्शनकारियों ने आयोग और राज्य सरकार से निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
- परीक्षा परिणाम का रद्दीकरण: छात्रों का कहना है कि इस परीक्षा प्रक्रिया को पूरी तरह से रद्द कर, नए सिरे से परीक्षा आयोजित की जाए।
- पारदर्शिता सुनिश्चित करना: परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए कट-ऑफ अंक और चयन प्रक्रिया के सभी विवरण सार्वजनिक किए जाएं।
- जांच की मांग: परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताओं की जांच उच्च स्तरीय समिति या केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा कराई जाए।
- दोषियों पर कार्रवाई: अनियमितता में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
विधानसभा में मुद्दा
विधानसभा में भी यह मुद्दा गरमाया रहा। आजसू पार्टी के विधायक निर्मल महतो ने JSSC CGL परीक्षा को रद्द करने और इसकी जांच CBI से कराने की मांग की। उन्होंने इसे छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ बताया और राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है।
भविष्य की योजना और छात्र आंदोलन
छात्र संगठनों ने आगामी दिनों में अपने आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की है। 15 दिसंबर को रांची में राजभवन के सामने एक बड़ा धरना आयोजित किया जाएगा, जिसमें राज्यभर से हजारों छात्रों के शामिल होने की उम्मीद है।
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग का पक्ष
इस बीच, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज किया है। आयोग का कहना है कि परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी रही है। हालांकि, छात्रों के विरोध और आंदोलन ने आयोग के दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटनाक्रम के नतीजे
यह पूरा घटनाक्रम झारखंड में युवाओं और छात्रों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। जहां एक ओर छात्रों का संघर्ष उनके अधिकारों के लिए है, वहीं दूसरी ओर पुलिस की कार्रवाई और आयोग की चुप्पी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
निष्कर्ष
JSSC CGL परीक्षा से जुड़े विवाद ने झारखंड में एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा खड़ा कर दिया है। छात्रों की मांगें न केवल उनके भविष्य से जुड़ी हैं, बल्कि यह परीक्षा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की भी बात करती हैं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे का समाधान सरकार और आयोग के रुख पर निर्भर करेगा। यदि छात्रों की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।