हार्ट अटैक से बचाव: आयुर्वेदिक समाधान और वागभट जी की सलाह

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हार्ट अटैक से बचाव आयुर्वेदिक उपाय: भारत में हार्ट अटैक की समस्या तेजी से बढ़ रही है। आज हम आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ अष्टांग हृदयम में महर्षि वागभट जी द्वारा बताए गए हृदय रोग के एक अद्भुत उपचार पर चर्चा करेंगे। वागभट जी ने बताया कि हृदय रोगों का मुख्य कारण रक्त में अम्लता (acidity) बढ़ना है। इस ब्लॉग में हम उनके द्वारा सुझाए गए प्राकृतिक उपचारों को विस्तार से जानेंगे और यह समझेंगे कि किस तरह से अम्लता को नियंत्रित कर हार्ट अटैक से बचा जा सकता है।

रक्त की अम्लता कम करने के हार्ट अटैक से बचाव आयुर्वेदिक उपाय

महर्षि वागभट जी के अनुसार, जब हृदय की नलियों में रुकावट या ब्लॉकेज की समस्या होती है, तो इसका मुख्य कारण रक्त में बढ़ी हुई अम्लता होती है। अम्लता दो प्रकार की होती है – पेट की अम्लता और रक्त की अम्लता। पेट की अम्लता जब बढ़ जाती है, तो हमें खट्टी डकारें, पेट में जलन और मुंह में पानी आने जैसी समस्याएं होती हैं। अगर यह अम्लता रक्त में प्रवेश करती है, तो इसे रक्त अम्लता (blood acidity) कहा जाता है।

रक्त में अम्लता बढ़ने पर यह दिल की नलियों में रुकावट पैदा करती है, जिससे ब्लॉकेज होता है और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन वागभट जी के अनुसार, रक्त की अम्लता को क्षारीय पदार्थों (alkaline) के सेवन से नियंत्रित किया जा सकता है।

रक्त की अम्लता कम करने का आयुर्वेदिक इलाज

वागभट जी का कहना है कि जब रक्त में अम्लता बढ़ जाती है, तो क्षारीय पदार्थों का सेवन करना चाहिए। क्षारीय पदार्थ अम्ल को तटस्थ (neutral) कर देते हैं, जिससे अम्लता का प्रभाव कम हो जाता है। इससे हृदय की नलियों में ब्लॉकेज की समस्या नहीं होती और हार्ट अटैक से बचाव हो सकता है।

रसोई में उपलब्ध क्षारीय पदार्थ

आपकी रसोई में कई क्षारीय पदार्थ मौजूद होते हैं, जिनका सेवन करके आप हार्ट अटैक से बच सकते हैं। इनमें सबसे प्रमुख और आसानी से उपलब्ध क्षारीय पदार्थ लौकी है, जिसे इंग्लिश में बॉटल गार्ड कहा जाता है। लौकी का रस रक्त की अम्लता को कम करने में अत्यधिक प्रभावी होता है। वागभट जी के अनुसार, लौकी का रस हार्ट अटैक से बचाव के लिए सबसे उत्तम उपाय है।

लौकी के रस का सेवन कैसे करें?

रोजाना 200 से 300 मिलीग्राम लौकी का रस पिएं। इसे सुबह खाली पेट या नाश्ते के आधे घंटे बाद पीना अधिक लाभकारी होता है। लौकी के रस को और भी अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए आप इसमें कुछ अन्य क्षारीय पदार्थ मिला सकते हैं, जैसे:

  • 7 से 10 तुलसी के पत्ते
  • 7 से 10 पुदीने के पत्ते
  • काला नमक या सेंधा नमक

ये सभी पदार्थ लौकी के रस को और भी क्षारीय बनाते हैं, जिससे रक्त की अम्लता और तेजी से कम होती है।

तुलसी और पुदीने के फायदे

तुलसी और पुदीना दोनों में क्षारीय गुणों की भरपूर मात्रा होती है। तुलसी का उपयोग आयुर्वेद में कई रोगों के इलाज में किया जाता है। यह रक्त की शुद्धि में मदद करता है और अम्लता को नियंत्रित करता है। वहीं, पुदीना न सिर्फ ताजगी का अहसास कराता है बल्कि इसका क्षारीय प्रभाव भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। पुदीना रक्त की अम्लता को कम करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।

काला नमक और सेंधा नमक

काला नमक और सेंधा नमक भी क्षारीय गुणों से युक्त होते हैं। इनका सेवन शरीर की अम्लता को नियंत्रित करता है और हृदय रोगों के खतरे को कम करता है। वागभट जी के अनुसार, लौकी के रस में इनका उपयोग हार्ट अटैक से बचाव के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।

रोजाना लौकी का सेवन: हार्ट अटैक से बचाव का सरल तरीका

आयुर्वेद के अनुसार, लौकी का नियमित सेवन रक्त में अम्लता को नियंत्रित रखता है, जिससे हृदय की नलियों में रुकावट पैदा नहीं होती। यह हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याओं से बचाने में सहायक है। लौकी के रस में तुलसी, पुदीना और सेंधा नमक मिलाकर इसे और भी अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।

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निष्कर्ष: हार्ट अटैक से बचाव

महर्षि वागभट जी के अनुसार, हार्ट अटैक का मुख्य कारण रक्त में अम्लता का बढ़ना है। इस अम्लता को नियंत्रित करने के लिए लौकी का रस और अन्य क्षारीय पदार्थों का सेवन एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय है। लौकी, तुलसी, पुदीना और सेंधा नमक जैसी चीजें हमारी रसोई में आसानी से उपलब्ध हैं और इनके नियमित सेवन से हार्ट अटैक का खतरा कम किया जा सकता है। यह आयुर्वेदिक उपचार न सिर्फ सरल है, बल्कि हृदय को स्वस्थ रखने का एक प्राकृतिक तरीका भी है।

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