Farmers Protest LIVE: किसान आंदोलन, जो अब अपने 307वें दिन में प्रवेश कर चुका है, भारतीय इतिहास के सबसे बड़े आंदोलनों में से एक बना हुआ है। शनिवार को किसान एक बार फिर अपनी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अन्य महत्वपूर्ण मांगों को लेकर दिल्ली की ओर कूच करने की तैयारी कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों और प्रशासन दोनों की तैयारियां हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर एक और तनावपूर्ण स्थिति का संकेत देती हैं।
Farmers Protest: सुरक्षा कड़ी और इंटरनेट सेवाएं बंद
किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने के लिए हरियाणा प्रशासन ने अंबाला के शंभू बॉर्डर पर बैरिकेडिंग को मजबूत कर दिया है। बैरिकेड्स में अब सीमेंटेड ब्लॉक, स्टील की जाली और अतिरिक्त शील्ड शामिल हैं, ताकि प्रदर्शनकारी ऊपर से चढ़ने की कोशिश न कर सकें। इसके अलावा, क्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है ताकि प्रदर्शनकारियों के बीच समन्वय को रोका जा सके।
अंबाला के डिप्टी कमिश्नर पर्थ गुप्ता ने प्रशासन का रुख दोहराते हुए कहा, “सीमा क्षेत्रों पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं। दिल्ली की ओर बढ़ने की अनुमति नहीं दी गई है।”
किसानों की मांगों पर अडिगता
पिछले दो असफल प्रयासों के बावजूद, किसान अपने इरादों से डिगे नहीं हैं। शनिवार को 101 किसानों का एक समूह, जिसे “मरजीवड़ा जत्था” कहा जा रहा है, दिल्ली के लिए कूच करेगा। प्रमुख किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “पूरा देश हमारे साथ खड़ा है, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री चुप्पी साधे हुए हैं। सरकारी एजेंसियां आंदोलन को तोड़ने की पूरी कोशिश कर रही हैं, लेकिन हम डटे रहेंगे।”
राजनीतिक समर्थन और जन आक्रोश
कांग्रेस नेता और पहलवान बजरंग पूनिया ने आंदोलन से जुड़े सरकार के रवैये की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “किसानों को बैरिकेड्स, सड़कों पर कीलें और भारी पुलिस बल का सामना करना पड़ रहा है। यह भारत-पाकिस्तान या चीन की सीमा नहीं है। किसान केवल अपने अधिकार चाहते हैं।” उन्होंने प्रदर्शनकारियों की मांगों को “भ्रामक रूप से प्रस्तुत करने” पर रोक लगाने की अपील की।
पूनिया ने खनौरी बॉर्डर पर 18 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती हालत पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “सरकार की चुप्पी न केवल निराशाजनक है, बल्कि खतरनाक भी है। किसान हमारी रीढ़ हैं, और उनकी मांगों को सुना जाना चाहिए।”
समग्र दृष्टिकोण
यह आंदोलन राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रहा है और ऐसे नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गया है, जिन्हें किसान समुदाय के लिए प्रतिकूल माना जा रहा है। किसानों का तर्क है कि एमएसपी के लिए कानूनी ढांचे की अनुपस्थिति उन्हें बड़े कॉर्पोरेट्स के शोषण के लिए असुरक्षित बनाती है। हालांकि, सरकार ने कहा है कि मौजूदा प्रणाली पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करती है।
Farmers Protest: आगे की राह
जैसे ही किसानों का दिल्ली की ओर कूच फिर से शुरू होता है, सभी की नजरें राजधानी पर टिकी हैं। आने वाले दिनों में सरकार की प्रतिक्रिया यह तय कर सकती है कि समाधान निकलेगा या तनाव और बढ़ेगा। इस बीच, किसान आंदोलन भारत के किसान समुदाय की दृढ़ता और ताकत को उजागर करता रहेगा।
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